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बीए सेमेस्टर-3 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2676
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र

प्रश्न- गांधार कला एवं मथुरा कला शैली की विभिन्नताओं पर एक विस्तृत लेख लिखिये।

उत्तर -

पाश्चात्यकला (यूनानी कला) के प्रभाव से कुषाण काल में एक नवीन मूर्तिकला शैली का प्रादुर्भाव हुआ जिसे गांधार कला शैली के नाम से जाना जाता है। गांधार में एशिया तथा यूरोप की कई सभ्यतायें एक-दूसरे से मिलती थी। पूर्व से भारतीय और पश्चिम से यूनानी रूसी, ईरानी तथा शक संस्कृतियों का यह संगम था। पश्चिम से आने वाली संस्कृतियों में यूनानी, संस्कृति ही सबसे अधिक प्रभावशाली थी। गांधार का सम्पर्क यूनानी, शक पल्लव एवं कुषाणों से भी था। इसका परिणाम यह हुआ कि गांधार के नगरों, पुष्कलावटी, तक्षशिला, पुरुणपुर और आस-पास के जनपद में एक ऐसी मूर्तिकला का विकास हुआ जिसे गांधार शैली कहते हैं। बुद्ध, बोधिसत्व, अवलोकितश्वर, मंजुश्री आदि की मूर्तियाँ क्रमशः यूनानी देवताओं राजाओं और स्त्रियों के आदर्श पर बनायी गयी है उनकी वेश भूषा श्रृंगार और सजावट भी यूनानी ढंग से भी है। इसलिये इस कला को यवन - बौद्ध अथवा भारतीय यवन भी कहते हैं।

गांधार कला शैली के विपरीत मथुरा कला शैली में विभिन्न धर्मो से संबंधित मूतियों का निर्माण हुआ। कुषाण काल में मूर्ति निर्माण का एक प्रसिद्ध केन्द्र मथुरा रहा। इस काल में यद्यपि यहाँ पर मूर्ति निर्माण का कार्य बहुत पहले से ही होता आ रहा था लेकिन कुषाण काल में यहाँ व्यापक पैमाने पर मूर्तियों का निर्माण किया गया। कनिष्क, हुविष्क तथा वासुदेव के काल में मथुरा कला का सर्वोत्कृष्ट विकास हुआ। प्रारम्भ में यह माना जाता रहा था कि गांधार की बौद्ध मूर्तियों के प्रभाव तथा अनुकरण पर ही मथुरा की बौद्ध मूर्तियों का निर्माण हुआ था, परन्तु अब यह स्पष्टतः सिद्ध हो चुका है कि मथुरा की बौद्ध मूर्तियाँ गांधार से सर्वथा स्वतंत्र थी तथा उनका आधार मूलरूप से भारतीय ही था। वासुदेव शरण अग्रवाल में मतानुसार सर्वप्रथम मथुरा में ही बुद्धमूर्तियों का निर्माण किया गया जहाँ इनके लिये पर्याप्त धार्मिक आधार था। जबकि गांधार मूर्तियाँ का निर्माण मथुरा कला शैली के पश्चात् हुआ था। ई. पू. पहली शताब्दी में मथुरा भक्ति आन्दोलन का केन्द्र बन गया था जहाँ संकर्षण वासुदेव तथा पंच वीरों की प्रतिमाओं के साथ ही साथ जैन तीर्थकारों की प्रतिमाओं का भी पूर्ण विकास हो चुका था। इसका प्रभाव बौद्ध धर्म पर पड़ा, फलस्वरूप बौद्धों को भी मूर्तिकला के निर्माण की आवश्यकता प्रतीत हुई। मथुरा के शिल्पियों द्वारा पहले बोधिसत्व फिर बुद्ध मूर्तियों का निर्माण किया गया। जबकि गांधार कला में बुद्ध तथा बोधिसत्वों की मूर्तियों का निर्माण हुआ। गांधार कला शैली में ब्राह्मण तथा जैन धर्मों से सम्बन्धित मूर्तियो का निर्माण नहीं हुआ जबकि मथुरा कला शैली में ब्राह्मण एवं जैन मूर्तियों का निर्माण हुआ। गांधार मूर्तियाँ काले स्लेटी पाषाण, चूने तथा पकी मिट्टी से बनी है। ये ध्यान, पद्मासन, धर्म चक्र प्रवर्तन, वरद तथा अभय आदि मुद्राओं में है। इन पर यूनानी कला का प्रभाव है जबकि मथुरा कला शैली का स्रोत भारतीय है। इन पर विदेशी कला का प्रभाव नहीं है। मथुरा से कुछ ऐसी बोधिसत्व प्रतिमायें मिली हैं। जिन पर कनिष्क संवत् की प्रारम्भिक तिथियों के लेख खुदे हैं। इसके विपरीत गांधार कला की मूर्तियों में से एक पर भी कोई परिचित संवत् नहीं है। जो तीन-चार तिथियाँ मिलती हैं उनके आधार पर गांधार कला का समय पहली से तीसरी शताब्दी के बीच ठहरता है। मथुरा से बुद्ध तथा बोधिसत्वों की खड़ी तथा बैठी मुद्रा में बनी हुई मूर्तियाँ मिली हैं। गांधार शैली में निर्मित बुद्ध तथा बोधिसत्व मूर्तियों में आध्यात्मिकता तथा भावुकता न होकर बौद्धिक तथा शारीरिक सौन्दर्य की ही प्रधानता दिखाई देती है। इनके मुंह में बनायी गयी मूंछे तथा पैसे में दिखाये गये चप्पल से किसी प्रकार का भाव अथवा धार्मिक भावना प्रकट नहीं होती है। इसके विपरीत मथुरा शैली की मूर्तियों में आध्यात्मिकता एवं भावना की प्रधानता है। बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथायें भी स्तम्भों पर मिलती हैं।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- दक्षिण भारतीय कांस्य मूर्तिकला के विषय में आप क्या जानते हैं?
  2. प्रश्न- कांस्य कला (Bronze Art) के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइये।
  3. प्रश्न- कांस्य मूर्तिकला के विषय में बताइये। इसका उपयोग मूर्तियों एवं अन्य पात्रों में किस प्रकार किया गया है?
  4. प्रश्न- कांस्य की भौगोलिक विभाजन के आधार पर क्या विशेषतायें हैं?
  5. प्रश्न- पूर्व मौर्यकालीन कला अवशेष के विषय में आप क्या जानते हैं?
  6. प्रश्न- भारतीय मूर्तिशिल्प की पूर्व पीठिका बताइये?
  7. प्रश्न- शुंग काल के विषय में बताइये।
  8. प्रश्न- शुंग-सातवाहन काल क्यों प्रसिद्ध है? इसके अन्तर्गत साँची का स्तूप के विषय में आप क्या जानते हैं?
  9. प्रश्न- शुंगकालीन मूर्तिकला का प्रमुख केन्द्र भरहुत के विषय में आप क्या जानते हैं?
  10. प्रश्न- अमरावती स्तूप के विषय में आप क्या जानते हैं? उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- इक्ष्वाकु युगीन कला के अन्तर्गत नागार्जुन कोंडा का स्तूप के विषय में बताइए।
  12. प्रश्न- कुषाण काल में कलागत शैली पर प्रकाश डालिये।
  13. प्रश्न- कुषाण मूर्तिकला का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- कुषाण कालीन सूर्य प्रतिमा पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- गान्धार शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  16. प्रश्न- मथुरा शैली या स्थापत्य कला किसे कहते हैं?
  17. प्रश्न- गांधार कला के विभिन्न पक्षों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मथुरा कला शैली पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- गांधार कला एवं मथुरा कला शैली की विभिन्नताओं पर एक विस्तृत लेख लिखिये।
  20. प्रश्न- मथुरा कला शैली की विषय वस्तु पर टिप्पणी लिखिये।
  21. प्रश्न- मथुरा कला शैली की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- मथुरा कला शैली में निर्मित शिव मूर्तियों पर टिप्पणी लिखिए।
  23. प्रश्न- गांधार कला पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- गांधार कला शैली के मुख्य लक्षण बताइये।
  25. प्रश्न- गांधार कला शैली के वर्ण विषय पर टिप्पणी लिखिए।
  26. प्रश्न- गुप्त काल का परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- "गुप्तकालीन कला को भारत का स्वर्ण युग कहा गया है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  28. प्रश्न- अजन्ता की खोज कब और किस प्रकार हुई? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करिये।
  29. प्रश्न- भारतीय कला में मुद्राओं का क्या महत्व है?
  30. प्रश्न- भारतीय कला में चित्रित बुद्ध का रूप एवं बौद्ध मत के विषय में अपने विचार दीजिए।
  31. प्रश्न- मध्यकालीन, सी. 600 विषय पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- यक्ष और यक्षणी प्रतिमाओं के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइये।

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